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23 Oct 2021 · 1 min read

छाँव रहे

जीवन की खड़ी दुपहरी में ,सभी बड़ों का छाँव रहे।
सभी एक दूजे के पूरक हों और सभी में लगाव रहे।
विपदा की नदी गर हो जो बड़ी फिर भी पार हो जाएगी,
गर माँझी भी अपना हो और अपनों से भरी यह नाव रहे।
जीवन की खड़ी दुपहरी में ,सभी बड़ों का छाँव रहे।

भरत, लखन ,रघुराई, शत्रुघ्न सा हर भाइयों में प्यार रहे।
राजा दशरथ के सदृश चरित्र से मिलता पिता का प्यार रहे।
हर बेटे के मनो मष्तिष्क पर ,माँ कौशिल्या सा प्रभाव रहे।
जीवन की खड़ी दुपहरी में ,सभी बड़ों का छाँव रहे।

संस्कार हमारी धरोहर है ,इसमें न कोई सेंध लगे।
संयमित मन रहे सदा ,अनायास न कोई क्रोध जगे।
क्रोध में बोध रहे ही सदा, कि ग़लत दिशा में न पाँव रहे।
जीवन की खड़ी दुपहरी में ,सभी बड़ों का छाँव रहे।

दुनिया बदली जमाना बदला ,दुनिया ने दुनियादारी बतलाई।
दुनियादारी के कई घटकों से ,मानवता ज्यादा
अकुलाई।
दुनियादारी में अब मंशा है ,कि रिश्तों में भी दुराव रहे।
जीवन की खड़ी दुपहरी में ,सभी बड़ों का छाँव रहे।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
258 Views
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