छल
लो एक बार और मैं छला गया,
वफा की घी में तला गया।
हर एक शख्स ने चखा मुझको,
डकार ली और चला गया।
न जाने मैं कैसा पकौड़ा हूं,
हर बार चखनो के रूप में ही तला जाता हूं।
देखकर कमबख़्त खीर की किस्मत,
मैं खामख्वाह जला जाता हूं।
एक इल्तिज़ा है मुझको खाने वालों,
मुझको तेज आंच में जलाने वालोें।
मुझको चखना समझकर मत खाया करो,
कभी कभी दावतों पर मुझे भी ले जाया करो।
आंसू निकलते हैं जब कोई मुझे निगलता है,
चम्मच पर मीठे खीर देखकर मेरा भी जी मचलता है।
मेरे बदन को तलने के बाद चीनी दूध डाला करो,
क्योंकि नमक मिर्च से और लहरता है।
अरे यह तुम कैसे मानव हो,
मुझे तो लगते दानव हो।
जले पर नमक मिर्च लगाते हो,
और पीछे सहानुभूति दिखाते हो।
तुमसे भली तो यह आग है,
जो बदन को पूरी जलाती है।
मुझ जैसे अभागे मृतक को,
मृतक का हक दिलाती है।
©– अमन