छमिया, मुखड़ा तो दिखा…:हास्य-कुण्डलिया
कपड़ा मुँह पर था बँधा. दोपहिया पर नार.
छमिया, मुखड़ा तो दिखा, खोल दुपट्टा यार.
खोल दुपट्टा यार, आदमी खुलकर बोला.
तब विचलित कचनार, सहम मुखमंडल खोला,
मुँह बच्ची का देख, हो गया उल्टा लफड़ा,
मैं डॉली हूँ डैड, लीजिये अपना कपड़ा..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’