छप्पय छंद
छप्पय छंद
सृजन शब्द-स्वभाव
सुंदर रखो स्वभाव, मीत हैं सारे बनते।
मीठी वाणी बोल, शब्द ही भीतर लगते।।
छोटो को दो प्यार, बड़ो को देना आदर।
बरसे सब पर प्रेम, नेह से भरना गागर।।
रख निर्मल हृदय सदैव ही, पड़ता श्रेष्ठ प्रभाव रे।
सब होते उस से प्रसन्न हैं, जिसका शांत स्वभाव रे।।
रखना सरल स्वभाव, हृदय में सबके बसना।
सोची समझी ही बात, सभी के आगे रखना।।
कोमल मोहक फूल ,सदा बन महका करना।
देना सच का साथ, वचन मत झूठे कहना।।
छल छिद्र कपट अभिमान का, बहुत बुरा अंजाम है।
मन भाव पूर्ण पहचान ले, नेक बड़ा इंसान हैं ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’