छपाक से पहचान ले गया
मेरे लबो से मुस्कान और चेहरे से मासूमियत बिखर गई है,
सिर्फ चंद कत्रे तेज़ाब से मेरी पूरी ज़िंदगी बदल गई है,
आज भी वह देहशात मेरी परछाई समान घूम रही हैं,
सुरक्षित नहीं वह गली जहां मेरे बहनों की जान तेज़ाब में बिक रही हैं।
मन की शांति और चहरे की कोमलता लूठ गई है,
भरी माहौल एसिड को देखकर भी अनदेखा कर गई है,
आज भी वह देहशात मेरी परछाई समान घूम रही हैं,
सुरक्षित नहीं वह गली जहां मेरे बहनों की जान तेज़ाब में बिक रही हैं।
मेरे चहरे और हाथो को तेज़ाप की बूंदों से जलाई गई है,
सपने अभी बाकी है जिनमे उम्मीद सजाई गई हैं,
आज भी वह देहशात मेरी परछाई समान घूम रही हैं,
सुरक्षित नहीं वह गली जहां मेरे बहनों की जान तेज़ाब में बिक रही हैं।
तेज़ाब छिड़कने वाले गुनहगारों को सज़ा मिल गई है,
शहर में एसिड की नीलामी होते होते बच गई है,
आज भी वह देहशात मेरी परछाई समान घूम रही हैं,
सुरक्षित नहीं वह गली जहां मेरे बहनों की जान तेज़ाब में बिक रही हैं।
-Basanta Bhowmick