*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )
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छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप
मुफ्त चलें फिर बॉंटने, बनकर झोलाछाप
बनकर झोलाछाप, खरीदी-प्रथा नहीं है
चिंतनीय यह रीति, रीति क्या कहें सही है
कहते रवि कविराय, लोग सब आगे आऍं
पुस्तक करें खरीद, चौगुनी यों छपवाऍं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997675 451