छन्द सरसी: *जिनका कुशल प्रबन्ध*
जीवन में हैं द्वंद हज़ारों, कच्चे सब सम्बंध।
जंजीरों में जकड़े रखते, नियम कड़े अनुबंध।
जीवन पथपर हँसते गाते,बढ़ जाते कुछ लोग,
और अधिकतर बाँधे रखते, आशा का कटिबंध।
सागर जैसा गहरा जीवन, पास नहीं पतवार,
लग जाती है नाव किनारे, मिल जाये यदि कंध।
घरबार सुरक्षित रख लेते, कितना हो मतभेद,
दरवाजे के दो पल्ले-से, पति पत्नी के बंध।
रोते गाते कट जाता है, समय कहो या वक़्त,
अच्छे से कट जाता उनका,जिनका कुशल प्रबंध।
_______________________________✍️अश्वनी कुमार