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2 Dec 2023 · 1 min read

छन्द- सम वर्णिक छन्द ” कीर्ति “

( प्रस्तुति -3 )
112 112 112 2
सब देख रहा अपना है ।
पर झूठ भरा सपना है ।
अपना- अपना कह रोते ।
निज स्वार्थ भरे सब होते ।।
*** *** ***
पहले कुछ ज्ञात न होता ।
धन- यौवन है जब खोता ।
निज पुत्र न पास दिखाता।
दिखने भर केवल नाता ।।
*** *** ***
तन भी अपना दुख देता ।
बहु व्याधि बुला तब लेता ।
भज ‘ साधक ‘ राम सहारा ।
अपना बस एक तुम्हारा ।।

Language: Hindi
202 Views
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