छद्म राष्ट्रवाद
देखकर तुम्ही से सिखा,
सवाल पूछना गुनाह है !
पूछने जो चाहे पूछ लो,
देशद्रोही से *दाग होंगे,
राष्ट्रवाद में *फरमान है.
अभिव्यक्ति पर लगाम है
आजादी शब्द से परहेज़.
अर्थव्यवस्था बदहाल है.
पूँजीवाद के हाथ नकेल.
*स्केल सरकारी अपने है.
जो चाहे **अखबार पढ़.
©जीवन_एक_अभिव्यक्ति
~डॉ.महेन्द्र सिंह हंस