Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2023 · 2 min read

छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार

छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार
हमर छत्तीसगढ़ हमेशा ले अपन संस्कृति अऊ परम्परा के खातिर पहचाने जाथे, इहां के सुग्घर नंदिया-नरवा, जंगल-पहाड़, खेत-खार, बाग-बगीचा मन के सुंदरता हा मन ला मोह लेथे, तभे तो जऊन मनखे भी इहां आथे ओ इहें के होके रही जथे।

सुग्घर नजारा के अलावा इहां के संस्‍कृति अऊ परम्‍परा घलो बड़ मनमोहक हावे, छत्‍तीसगढ़ के संस्‍कृति मा तिहार, परब मनके विशेष महत्‍व हावे, ए तिहार मन मा सबले पहिली हरेली आथे। हरेली तिहार मा गांव के संस्कृति अऊ परम्परा के सुग्घर झलक दिखथे, तेकरे सेती एला छत्तीसगढ़िया संस्कृति अऊ परम्परा के तिहार कहे जाथे।

हरेली तिहार ला सावन महीना के कृष्ण पक्ष अमावस के बेरा मा मनाए जाथे। हरेली तिहार किसान अऊ छत्तीसगढ़िया मनके तिहार हरे, जईसे कि एकर नाम ले ही पता चलथे हरेली के मतलब प्रकृति के चारों खुट हरियाली से होथे।

मानसून आए के बाद सावन महीना मा जब झमाझम बरसा होवत रथे अऊ चारो डहार फसल बोवाई होके हरियाली फैल जाथे तब किसान मन अपन अपन खेत में जोताई, रोपाई, बोआई, बिआसई जईसे काम मन ला पूरा करके ए हरेली तिहार ला मनाथे।

ए दिन जम्मो किसान भाई मन अपन खेत मा उपयोग होवैया औजार जैसें- नागर, जुड़ा, रापा, हंसिया, कुदारी, गैती, टंगिया, बसला, बिन्दना, आरी, पटासी, साबर जईसे समान मनमें, हरदी, दूध, चाउर पीसान ला पानी मा घोर के ओला सब औजार मन ऊपर छिडकथे, अऊ चाउर के बने चीला रोटी, नरियर, हुम-जग से औजार अऊ धरती मईया के पूूजा करथे।

तिहार के दिन सबो घर मा रोटी पीठा जैसे- चीला, सोहारी, बरा, खुरमी, ठेठरी, अइरसा, भजिया ला बनाथे फेर खुद खाथे अऊ पड़ोसी मन ला घलो खाए बर बलाथे अऊ हरेली तिहार के खुशी ला दुसर मन संग घलो बांटथे।

तिहार के दिन गांव मन मा कई किसम के खेल खेले अऊ खेलाए जाथे खेलों जैसे- मटका फोड़, गोली चम्मस, जलेबी दौड़, गेडी दौड, गेड़ी नाचा। एमे गेड़ी दौड़ अऊ गेड़ी नाचा हरेली बर खास खेल हरे। ए खेल मा लइका, सियान, माई लोगन सबो झन हिस्सा लेथे, ए खेल मन ले ए तिहार मा शोभा बढ़ जाथे।

अब तो छत्तीसगढ़ सरकार तरफ ले अपन संस्कृति अऊ परम्परा ला बचाये खातिर हरेली परब मा पारंपरिक खेल के आयोजन करे जाथे। स्कूल मन मा घलो लइका मन ला फुगड़ी, कुर्सी दौड़, गोली चम्मच जैसे खेल खेलाके एला एक प्रतियोगिता के रूप देके जितईया मन ला इनाम दे जाथे, जेकर ले सबो झन् खेल मा अऊ जादा उत्‍साह से भाग लेवय।
अईसने हमन सबो छत्तीसगढ़िया मनखे मन अपन पहिली तिहार हरेली ला बड़ धूमधाम ले मनाथन।
जय छत्तीसगढ़ महतारी! छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया!
✍️ मुकेश कुमार सोनकर
रायपुर, छत्तीसगढ़
मोबाईल 9827597473

1 Like · 692 Views

You may also like these posts

दोस्ती सारा जहान
दोस्ती सारा जहान
Rekha khichi
अस्तित्व
अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
तेरा
तेरा
sheema anmol
जब दिल लग जाये,
जब दिल लग जाये,
Buddha Prakash
"चंदा के झूले में, झूलें गणेश।
*प्रणय*
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
आशा
आशा
Mamta Rani
23. *बेटी संग ख्वाबों में जी लूं*
23. *बेटी संग ख्वाबों में जी लूं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
4237.💐 *पूर्णिका* 💐
4237.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Ram Krishan Rastogi
मेरा पता
मेरा पता
Jyoti Roshni
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
നീപോയതിൽ-
നീപോയതിൽ-
Heera S
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*एक मां की कलम से*
*एक मां की कलम से*
Dr. Priya Gupta
धवल घन !
धवल घन !
Akash Agam
*हमारी बेटियां*
*हमारी बेटियां*
ABHA PANDEY
Nothing grand to wish for, but I pray that I am not yet pass
Nothing grand to wish for, but I pray that I am not yet pass
पूर्वार्थ
मन मसोस कर।
मन मसोस कर।
manorath maharaj
- लाजवाब हो तुम -
- लाजवाब हो तुम -
bharat gehlot
हर नदी अपनी राह खुद ब खुद बनाती है ।
हर नदी अपनी राह खुद ब खुद बनाती है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वो मानसिक रोगी होता है जो सामान्य रूप से किसी की खुशी में खु
वो मानसिक रोगी होता है जो सामान्य रूप से किसी की खुशी में खु
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
*आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
लक्ष्मी सिंह
ईमानदारी
ईमानदारी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...