छठ की शुभकामना
‘छठ की बहुत-बहुत सुभकामना’
अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करने वाले हम लोग
जीवन मृत्यु से मुक्त हुए लोगों को भी नहीं छोड़ते
देते हैं गलियां और उधेड़ते हैं उनका बख़िया हम लोग
वाकई धन्य हैं हम विश्व गुरु बनने वाले भारत के लोग !
…सिद्धार्थ
रवीश जी ‘छठ पूजा’ में शामिल होने के लिए अपने गांव गए हैं। वहीं का ये फोटो है, दउरा उठाये नगें पांव घाट पे जा रहे हैं। उनका कहना है ‘लोक पर्व’ में ‘लोक’ होना पड़ता है।
सच ही तो है, हम परिवार और समाज में रहते हैं उन से बाहर तो नही ? हम अपने बुद्धि विवेक से कुछ भी सोच सकते हैं, लोगों को समझाने की कोशिश भी कर सकते हैं। लेकिन उन पे थोप नही सकते अपनी समझदारी। और जब हमें उनके साथ ही रहना है तो, उनकी ख़ुशी में भी ख़ुशी- ख़ुशी शरीक भी होना चाहिए। लोग होते भी हैं, यही हमारी असली पहचान भी तो है बिविध रंग धर्म वाला खूबसूरत गुलिस्तान हमारा ‘हिन्दुस्तान’ … जय हो
…सिद्धार्थ