छंद -रामभद्र छंद
रामभद्र छंद
रामभद्र समवार्णिक दण्डक
जिस पद के प्रत्येक पद में वर्ण संख्या 26 से अधिक हो उसे वार्णिक दण्डक कहते है। इस दण्डक में 13 गुरु लघु गुरु सहित 27 वर्ण होते हैं। चार समतुकांत पंक्तियों पर यति – 14,13 सुनिश्चित है।
राम राम राम राम राम राम राम, राम राम राम राम राम राम जी।
परिचय– नव प्रस्तारित, प्रति पंक्ति 27 वर्ण
यति–14,13
गणसूत्र- 13 गुरु लघु+ गुरु ( रजरजरजरजर)
अंकावली- 21-21-21-21-21 21 21, 21-21-21-21-21-21-2
उदाहरण -=
सृजन शब्द– पुकारते रहे (2) युग्म
धार आस नेह की चले सुनीति राह,
ढूंढ़ते रहे तुम्हें पुकारते रहे l
आपदा निवार के प्रलोभ को त्याग,
आन मान प्राण को सँवारते रहे ll
कामना न चाहना धरी कभी सकाम,
जीत मीत प्यार को विचारते रहे l
दर्श आस धार के अभी अनीति मार,
राम नाम धाम को दुलारते रहे ll
गाँठ खोल खोल के निभाय प्रीत रीत,
कौन स्वच्छ राह नेह ताकता रहा l
मौन के उजास में प्रभात का उसाँस,
कौन फाग रंग राग मानता रहा ll
शब्द शब्द गूंज को पुकारता अतीत,
कौन नैन बाण खींच मारता रहा l
क्लान्त भ्रान्त प्रात के हुलास का प्रभास,
प्रीत रंग राग कौन आँकता रहा ll
सुशीला जोशी
9719260777