छंद– मनहरण घनाक्षरी-1
छंद– मनहरण घनाक्षरी-1
**
भँवरों ने उपवन
किया है गुंजायमान
कलियां चटख रही
आ रहा वसंत है
पीत वस्त्र ओढे धरा
तितलियां इठलायें
मौसम बदल रहा
छा रहा वसंत है
माता वीणापाणि ने भी
छेड़ दी है झनकार
खुशियां निरोगी देखो
ला रहा वसंत है
प्रकृति ने खेली होली
अदभुत लालिमा से
कोयल की कूक पर
गा रहा वसंत है
Alka S.Lalit*