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31 Aug 2020 · 1 min read

वतन के लिए

है जान निसार वतन के लिए,
सर झुकाए हैं नमन के लिए।

गरीबों का सहारा बनो,
सबकी आंखों का तारा बनो।

सब छोड़ देंगे अमन के लिए,
है जान निसार वतन के लिए।

सीमा पर देश के लिए लड़ता है वीर,
मौसम की मार सहता है वीर।

लेखनी चलायेंगें उस रतन के लिए,
है जान निसार वतन के लिए।

घुट -घुट के क्या जीना है,
कहीं मौज कहीं सफ़ीना है।

कुछ वक्त निकालें भजन के लिए,
है जान निसार वतन के लिए।।

नूरफातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 468 Views

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