दुर्गम पथ
माना पथ दुर्गम होते हैं,
पर हिम्मत नहीं खोते हैं।
सामने खड़ा हिमालय हो,
अतिवृष्टि वाला मेघालय हो।
घनघोर अंधेरा जंगल हो,
नदियों बहता कल- कल हो।
हज़ारों मील का रेगिस्तान हो,
पहाड़ पर बनें मकान हों।
हौसला के आगे घुटने टेक देंगे,
मन का भय निकाल फेंक देंगे।
नूरफातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला-कुशीनगर