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6 Nov 2017 · 1 min read

” ————————————— चढ़ा ना सच परवान ” !!

म्यानों से तलवार न बाहर , यहां शब्दों के बाण !
यह चुनाव की रणभेरी है , सुनो धरो जी ध्यान !!

बिखरा बिखरा सा विपक्ष है , सबकी अपनी चाहत !
मुद्दों से भटके जनता बस , जुटा रहे मन प्राण !!

नोटबन्दी के बाद यहां अब , केशबन्दी है भारी !
शेष प्रलोभन वादों का है , सब लेते हैं संज्ञान !!

जातिवाद ने पैर पसारे , हुआ समाज विभाजित !
टुकड़े टुकड़े देश हो गया , नेता गुणों की खान !!

सत्ता गिना रही हासिल क्या , सूरत खिली खिली हैं !
अगर कीच में पैर फंसे तो , ठहर सके ना गुमान !!

बेकारी तो बरकरार है , व्यौपारी घबराये !
आरक्षण बन गया कसौटी , जनता खींचे ध्यान !!

बिखर गया आतंक लगे है , बदली सी घाटी है !
स्वाभिमानी सेना का ये , सफल जानो अभियान !!

है विकास का शोरशराबा, कैशलेस होते हम !
भ्र्ष्टाचार ख़तम हुआ ना , चढ़ा ना सच परवान !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
445 Views
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