चौर्य कला ( शक्ति छंद)
चौर्य कला
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पढेंगे वही जो रुचेगा हमें।
बता तो रहे हैं शुरू से तुम्हें।
किसी की कहीं से मिले ठीक है।
यही तो सही मंच की लीक है।
पराया किसी को नहीं मानते ।
तुम्हें लोग कवि हो नहीं जानते।
सुनाते रहे हैं सुनाते रहें।
भले मूढ़ इसको चुराना कहें।
कबाडी बना जो पड़ा था कहीं।
सड़ा जा रहा था वहीं के वहीं।
उसे मान देके सजाया गया।
हजारों जनों को सुनाया गया।
मिला लेखनी को बड़ा मान है।
यही तो तुम्हें ना जरा ज्ञान है ।
नहीं वक्त की आज पहचान है।
किया है बड़ा खास अहसान है।
सुनाना कला है कलाकार हम।
तुम्हारी सुनाई रहो खाय गम ।
सडी बात पर ना करो गौर भी।
इसी भाँति आगे लिखो और भी ।
भलाई यही है बनी सो बनी।
करो शोर चिंता बनेगी घनी ।
मिला धूर में वो जहाँ भी ठनी।
समझलो इसे खास चेतावनी।
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शक्ति छंद
18 मात्राएँ काव्य शास्त्र में 18 मात्राओं के 4181 छंद बताये हैं , हम उनमें प्रमुख दो तीन पर ही चर्चा करेंगे। शक्ति छंद
लघु से प्रारंभ अनिवार्य है,पहली,छठवीं, ग्यारहवीं और शोलवीं मात्रा लघु होना चाहिए। अंत में रगण,सगण या नगण कुछ भी हो सकता है।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
12/6/23