अभिमान
आज चौपाल पर कुछ ज्यादा हलचल थी
किसी के हाथ में हुक्का किसी के चिलम थी
चर्चा शायद किसी गंभीर बात पर थी
साईकल, हाथी, कमल और हाथ पर थी
इस बार सेहरा किसके सिर पर बंधेगा
कौन इस बार राजा की गद्दी पर चढ़ेगा
साईकल की नल के साथ पूरी तैयारी है
हाथी भी तो शान और शौकत की सवारी है
कमल तो कीचड़ में ही खिलता है
नसीब हाथ की लकीरों में मिलता है
बातें करने से बात बनती भी है बिगड़ती भी है
ये राजनीति है भैया चालें चाल चलती भी हैं
ये गांव की चौपाल है चौपाल ही रहने दो
सिर्फ मन की सुनो कहने वालों को कहने दो
मैं आम आदमी हूँ समय के साथ पिसता हूँ
कल भी रोटी को तरसता था आज भी तरसता हूँ
कमाई का एक मोटा हिस्सा टैक्स में भरता हूँ
सरकारी नौकर हूँ काम सिर्फ काम करता हूँ
गरीबों के मुफ़्त राशन में मेरा भी योगदान है
में भारतवासी हूँ बस इसी बात का अभिमान है
जय हिंद जय भारत