चौपाई
मंगल भवन अमंगल हारी। घर की बीवी किसी से ना हारी।।
द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी। या हो तुम्हारी या हो हमारी।।
कैसी भी हो लगती प्यारी। गोरी हो या हो वो कारी।।
घर की लक्ष्मी वह कहलाती। घर में खुशियां उसी से हैं आती।।
वीर कुमार जैन
15 अगस्त 2021
मंगल भवन अमंगल हारी। घर की बीवी किसी से ना हारी।।
द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी। या हो तुम्हारी या हो हमारी।।
कैसी भी हो लगती प्यारी। गोरी हो या हो वो कारी।।
घर की लक्ष्मी वह कहलाती। घर में खुशियां उसी से हैं आती।।
वीर कुमार जैन
15 अगस्त 2021