चौपाई छंद- राखी
राखी का त्योहार है आया।
हम सब का मन बहुत हर्षाया।।
राखी लेकर बहना आई।
भाई की तब सजी कलाई।।
खुशी रहो तुम मेरे भैय्या।
दुख की तुम पर पड़े न छैय्या।।
सौ वर्षों की उम्र तुम्हारी।
जाऊँ तुम पर मैं बलिहारी।।
कृष्ण सरीखा मेरा भाई।
उर में गहरी ममता छाई।।
आज मायका तुमसे मेरा।
नहीं बहन से मुख है फेरा।।
जब भी बहन मायके आई।
लाड़ प्यार तुम्हीं से पाई।।
कभी मुसीबत मुझ पर आई।
तुम ही बने सहारा भाई।।
राखी तो बस कच्चा धागा।
भाग्य बहुत मेरा है जागा।।
सिर पर जैसे प्रिय कर परसा
धन्य हो गया अमृत बरसा।।
राखी मेरी है हर्षाई।
भैया की जब सजी कलाई।।
मुख मीठा भैया का कीन्हा।
शीष हाथ भाई रख दीन्हा।।
इसीलिए तो राखी आई।
गले मिले जब बहना भाई।।
अश्रु आँख बहना के आया।
भाई ने तब धौल जमाया।।
घर घर में खुशियाँ छाई हैं।
राखी संग बहन आई है।।
राहें देख रहा था भाई।
देख बहन आँखें भर आई।।
सुधीर श्रीवास्तव