चौपाई छंद – माता पिता और हम
सदा याद माँ बाप रहेंगे।
तभी हमारे भाग्य खुलेंगे।।
भले आज वो साथ नहीं हैं।
हमसे वो दूर ही सही हैं।।
हम पर नजरें सदा गड़ाए।
भूख प्यास वे रहें भुलाए।।
हमको लेकर चिंतित होते।
अश्कों से निज मुख को धोते।।
मातु पिता संबल हैं होते।
भले दूर हमको ना दिखते।।
साया बने साथ ही रहते।
यही बात हम नहीं समझते।।
यही भूल हम सब हैं करते।
और दोष उनको ही देते।।
मानो तो हम अज्ञानी हैं ।
या फिर शायद विज्ञानी हैं।।
यही समय का खेल निराला।
औरों का मुख लगता काला।।
जीवन में फैला है जाला।
जाप करें लेकर हम माला।।
सुधीर श्रीवास्तव