Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

चौपाई छंद गीत

चोपाई छंद गीत
16/16 मात्रा
सृजन पंक्ति-आया है हरियाला सावन

आया है हरियाला सावन।
खुशियों की है अब तो आवन।।

धानी चुनरिया ओढ़े धरती।
बरखा की है पायल बजती।।
रूप धरा का लगता पावन।
आया है हरियाला सावन।।

मोर पपीहा कोयल बोले ।
कानों में वो मधु रस घोले ।।
मौसम लगता है मनभावन ।
आया है हरियाला सावन।।

सजनी माथे बिंदिया सजती।
हाथों में खन चूड़ी बजती ।।
घर आये परदेसी साजन ।
आया है हरियाला सावन ।।

बादल पानी भर के खड़े ।
बागों में अब झूले पड़े ।।
चिड़िया चहके घर के आँगन ।
आया है हरियाला सावन ।।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

1 Like · 19 Views

You may also like these posts

लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सुनो विद्यार्थियों! पुस्तक उठा लो।
सुनो विद्यार्थियों! पुस्तक उठा लो।
भगवती पारीक 'मनु'
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
शेखर सिंह
4630.*पूर्णिका*
4630.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
पूर्वार्थ
बड़ा सवाल
बड़ा सवाल
Sudhir srivastava
*हिम्मत जिंदगी की*
*हिम्मत जिंदगी की*
Naushaba Suriya
मुहब्बत में शायरी का होना तो लाज़मी है जनाब,
मुहब्बत में शायरी का होना तो लाज़मी है जनाब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बाबू मेरा सोना मेरा शेर है
बाबू मेरा सोना मेरा शेर है
Dr. Man Mohan Krishna
आज का कल
आज का कल
Nitu Sah
नेपाली कथा : वान्डर बोका !
नेपाली कथा : वान्डर बोका !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
Seema gupta,Alwar
मत केश सँवारो
मत केश सँवारो
Shweta Soni
यह ज़िंदगी गुज़र गई
यह ज़िंदगी गुज़र गई
Manju Saxena
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
Raju Gajbhiye
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ये वादियां
ये वादियां
Surinder blackpen
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
gurudeenverma198
तमाम लोग
तमाम लोग
*प्रणय*
मुंबई फिर दहली
मुंबई फिर दहली
C S Santoshi
*कविवर श्री जितेंद्र कमल आनंद (कुंडलिया)*
*कविवर श्री जितेंद्र कमल आनंद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ब्यथा
ब्यथा
Jai Prakash Srivastav
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
पर्यावरण
पर्यावरण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"समय जब अपने पर उतरता है
Mukul Koushik
नहीं हम भूल पाएंगे
नहीं हम भूल पाएंगे
डिजेन्द्र कुर्रे
10) पैगाम
10) पैगाम
नेहा शर्मा 'नेह'
नव-निवेदन
नव-निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...