चौका में चांद
चोका में चोका लगा ,रही एक दिन नार ।
चोका बिंदियाँ चांद सी ,प्रातः निरख सुनार ।
प्रातः निरख सुनार ,चांद पूनम सा घर में ।
दिखे धरा पर आज ,रहें जबकि अँवर में ।।
स्नेही ,वोराय , चांदनी से बे मोका ।
मिलने आया चाँद ,भूलकर मेरे चोका ।।
चोका में चोका लगा ,रही एक दिन नार ।
चोका बिंदियाँ चांद सी ,प्रातः निरख सुनार ।
प्रातः निरख सुनार ,चांद पूनम सा घर में ।
दिखे धरा पर आज ,रहें जबकि अँवर में ।।
स्नेही ,वोराय , चांदनी से बे मोका ।
मिलने आया चाँद ,भूलकर मेरे चोका ।।