चोर पर मोर
चोर पे मोर
गोरखधाम एक्सप्रेस ज्यों ही हिसार से चलकर दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर रुकी| दिल्ली उतरने वाली सवारी अपना-अपना सामान समेट कर उतरने की तैयारी करने लगी| मध्यमवर्गीय व गरीब यात्री अपना सामान उठाकर चलने लगे| धनाढ्य यात्री कुली-कुली पुकार रहे थे| कुछ यात्री खाद्य-पदार्थों के स्टाल पर जा कर टिड्डीदल की तरह टूट पड़े और फास्ट-फूड खाने लगे|
उधर कानपुर व गोरखपुर जाने वाले यात्री रेलगाड़ी में चढ़ने लगे| सवारियों का आवागमन यौवन पर था| कुछ युवक-युवतियां, जो कानों में ईयरफोन लगाए स्टेशन पर ही विचरण कर रहे थे| जिन्हें फैशन व साज सज्जा ने पूरी तरह आर्टिफिशियल कर रखा था| वहीं पर मैले-कुचैले कपड़ों में कुछ विक्षिप्त व कुछ अर्ध विक्षिप्त जिंदा लाशें भी बिना उद्देश्य स्टेशन पर घूम रही थी| पूरा रेलवे स्टेशन ही इनका घर है| जहाँ मर्जी सो जाएं, जहाँ मर्जी बैठ जाएं, जाना इन्होंने कही नहीं| रेलवे स्टेशन पर एक साथ दो-दो भारत दिखाई दिए|
दिल्ली से गाड़ी में एक नवविवाहित जोड़ा चढ़ा| युवती अपने पति को रोहित नाम से बुला रही थी तथा युवक अपनी पत्नी को सुमन कह कर बुला रहा था| सुमन खिड़की वाली सीट पर बैठ गई| रोहित सामने वाली सीट पर बैठ गया| सुमन की सीट रेल के डिब्बे के दरवाजे के साथ थी| सुमन ने सोने के गहने डाल रखे थे| एक युवक वहीं पर घूम रहा था| वह कभी ट्रेन में चढ़ रहा था तो कभी उतर रहा था| उसकी जेब में मोबाइल फोन पर गाने बज रहे थे| रोहित का पूरा ध्यान उस युवक की संदिग्ध गतिविधियों पर था| रेल के इंजन ने ज्यों ही चेतावनी की सीटी मारी| जो यात्री सीटों पर अपना सामान रखकर प्लेटफार्म पर चहलकदमी कर रहे थे| चेतावनी सीटी सुनकर, ट्रेन में सवार हो गए| संदिग्ध गतिविधियों वाला युवक भी रेल के दरवाजे में चढ़ गया| रेल के इंजन ने फिर सीटी बजाई| यह सीटी चलने की थी| इसके बाद ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी| संदिग्ध गतिविधियों वाला युवक जो ट्रेन के दरवाजे में खड़ा था| उसने बाहर से सुमन की खिड़की में हाथ डा कर, गल में झपटा मारा और गले से सोने की चैन तोड़ ली| चैन झपटकर हाथ खिड़की से बाहर निकाल ही रहा था| रोहित ने तत्परता दिखाई| उसका हाथ जोर से पकड़ लिया| वह बाहर खिड़की में लटका-लटका बाहर से ही हाथ छुड़ाने का प्रयास करता रहा| हाथ छुड़ाने की हर संभव कोशिश की लेकिन रोहित ने मजबूती से पकडे़ रखा| अन्य सवारियों ने भी रोहित का भरपूर सहयोग किया| कुछ सवारियों ने ट्रेन का दरवाजा खोलकर युवक को दबोच लिया| पकड़ कर अपने पास बैठा लिया| कहीं वह चलती ट्रेन से छलांग न लगा दे|
गोरखधाम एक्सप्रेस में ऐसी छीना-छपटी, लूट-खसोट की घटना साधारण सी बात है| रोहित पहले भी ऐसी घटना, इसी गोरखधाम एक्सप्रेस में देख चुका है| उस दिन सुमन के स्थान पर एक नवयुवक बैठा था| जो कानों में ईयरफोन लगाए, दीन दुनिया को से विरक्त हो कर महंगे एंड्रॉयड फोन में गाने सुनकर कल्पना लोक में विचरण कर रहा था| उसकी तंद्रा तब टूटी जब झपटा मार कर मोबाइल छीनने वाला कूद गया| इसलिए ही वह सुमन को इस सीट पर बैठने से मना कर रहा था| परन्तु वह नहीं मानी, जिद करके उसी सीट पर बैठ गई|
यात्रियों ने चैन झपटने वाले युवक की हल्की-फुल्की मार-कुटाई भी की और जवाब तलबी भी की| वह माफ करने व बख्श देने की फरियाद करता रहा| वह कभी भूखे बच्चों की, कभी जानलेवा बीमारी से पीड़ित पत्नी की दुहाई देता रहा| पुलिस में न देने की याचना करता रहा|
इस ट्रेन का दिल्ली से चलकर अगला ठहराव कानपुर में था| ट्रेन दौड़ती रही, गांवों व छोटे शहरों को पीछे छोड़ती रही| करते कराते कानपुर स्टेशन आ गया| ट्रेन से उतर कर रोहित, सुमन और भीड़, चैन झपटने वाले युवक को रेलवे पुलिस के पास ले गए|
रेलवे पुलिस अधिकारी ने कहा,”इस मामले से संबंधित तो रुक जाओ, बाकी जाओ अपना अपना काम करो|”
पुलिस अधिकारी ने रोहित व सुमन के लिए दो कुर्सी मंगवा दी| वे दोनों कुर्सियो पर बैठ गए| चैन झपटने वाला युवक नीचे बैठ गया|
पुलिस अधिकारी ने रोहित व सुमन से पूछताछ की| रोहित गुस्से से तमतमाया हुआ था| उसने पूरी की पूरी घटना का ज्यों का त्यों वर्णन कर दिया|
पुलिस अधिकारी ने कहा,”चैन कहाँ है|”
रोहित बोला,”ये रही मेरे पास|”
इसके बाद पुलिस अधिकारी ने झपटा मारने वाले युवक की तलाशी ली| टटोलने पर कुछ नकदी व एक अन्य टूटी हुई सोने की चैन मिली| पुलिस अधिकारी ने बरामद सामान जब्त कर लिया|
पुलिस अधिकारी बोला,”आपकी चैन आपको मिल गई| आप जाइए| हम अपने आप कार्यवाही करेंगे|
रोहित बोला, “अभी तत्काल मेरे सामने ही कार्यवाही करो| मैं तत्काल ही कार्यवाही चाहता हूँ| जब तक कार्यवाही नहीं होती, मैं यहीं पर हूँ|”
पुलिस अधिकारी की कार्यवाही करने की टाल-मटोल सुनकर, रोहित गुस्से में तिलमिला कर, पुलिस को उसके कर्तव्य की याद दिलाने लगा तो-
पुलिस अधिकारी,”इसपै तो कार्यवाही कर देंगे, पर कार्यवाही तेरे पै भी बणै सै| थामनै उसकै साथ मार-कुटाई करी सै|
पुलिस अधिकारी की बातें सुनकर सुमन डर गई| वह अपने पति को समझाने लगी| अपनी चैन हमें मिल गई| चलो क्यों फालतू के बखेड़े में पड़ते हो|
सुमन के समझाने पर भारी मन से रोहित, सुमन को लेकर पुलिस स्टेशन से निकला और अपने गन्तव्य की ओर चल पड़ा| उधर पुलिस अधिकारी जब्त माल को पचाने की जुगत भिड़ाने लगा| चैन झपटने वाला युवक भी खुद को लुटा-पिटा महसूस कर रहा था| वह अगले शिकार को ढूंढ़ने निकल पड़ा| इस तरह लगे चोर को मोर|
-विनोद सिल्ला©