चोरों की बस्ती में हल्ला है
बड़े बड़े नोटों की बंदी
का जबसे फरमान हुआ है
एक एक भारतवासी के
मन में ये अरमान जगा है
अब अमीर भी मुझ गरीब सा
खाली हाथ निठल्ला है
चोरों की बस्ती में लेकिन हल्ला है.
भरी तिजोरी हो गई रद्दी
लालाजी की हिल गई गद्दी
ग्राहक कोई नजर न आवे
माल बिकेगा कैसे जल्दी
कैसे हाट लगे जब खाली गल्ला है
चोरों की बस्ती में लेकिन हल्ला है
नींद उड़ गई नेताओं की
कालेधन का युग जो बीता
हाय चुनावी तैयारी में
ये कैसा लग गया पलीता
कैसे अब वोटर पट पाये ये ही चिल्लमचिल्ला है
चोरों की बस्ती में लेकिन हल्ला है
पत्थर वाले हाथ रुक गए
घाटी के बाजार खुल गए
लपटों में घिर चुके मदरसे
फिर शिक्षा के लिए खुल गए
घाटी का अब शांत प्रत्येक मुहल्ला है
चोरों की बस्ती में लेकिन हल्ला है
उठो क्रांति का बिगुल बजा है
देश बदलने की बारी है
कालेधन और भ्रष्ट आचरण
से मुक्ति की तैयारी है
जन जन का अब करो जागरण, काम ये मिला जुला है
चोरों की बस्ती में अब रहना हल्ला है.
श्रीकृष्ण शुक्ल सरोज,
मुरादाबाद.