” चोरी …भेल…. चोरी “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हुनक आयल फ्रेंड रिक्वेस्ट
पहिने लाइक खूब करैत छलाह !
प्रशंसाक कमेंट करि
हमर लेखनी क मान बडबैत छलाह !!
किछु दिन हम गबदी
मारने पडल रहलहूँ !
तथापि हुनक प्रोफाइल
जाँचय आ परखय लगलहूँ !!
कोनो ठेकान पता आ फोटो
ओहिमे नहि भेटल !
तइओ हुनक आपकता
स्नेह देखि हमर मन डोलल !!
हम हुनका अपन
मित्र सूची मे राखि लेलहुँ !
लागल एहि प्रक्रिया सं
हम कोनो युध्य जीत लेलहूँ !!
किछु दिनक बाद जिज्ञासा भेल
हुनकर प्रोफाइल देखबाक
अवसर भेट गेल !
देखलहुं त अबाक भेलहुँ
हमर कविता मे नाम अपन देल !!
की करब वाद -विवाद
ब्लाक हुनका क’ देलहूँ !
आर इ विचित्र सपना कें
मन सं सदा हटा देलहूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका