चोट सीने पे आज खाई है
मेरे जख्मों की तू दवाई है
चोट सीने पे आज खाई है
जिंदगी के हसीन मेले में
हम भी फंसते गए झमेले में
बात अब ये समझ में आई है
मेरे जख्मो की तू दवाई है
मेरे जीवन की ये कहानी है
मेरी अब भी कई, दिवानी है .
“मो-अत” आई नहीं बुलाई है
मेरे जख्मों” की तू दवाई है
देखता हूं तुम्हें जमाने से
वक्त मिलता नही कमाने से
आंख मिलती नही,मिलाई है
मेरे जख्मों की तू दवाई है
रमेश शर्मा.