चोट ना पहुँचे अधिक, जो वाक़ि’आ हो
चोट ना पहुँचे अधिक, जो वाक़ि’आ हो
चाहता हूँ सबको कुशल, जब हादिसा हो
है कठिन सब मुश्किलों से पार पाना
कोई सूरत तो निकालो, रास्ता हो
हो समझदारी यहाँ विकसित सभी में
फिर किसी से ना ग़लत कुछ वास्ता हो
महावीर उत्तरांचली