चोटीकटवा !
अफवाहों को अगर
थोड़ा दरकिनार करूँ,
तो पाता हूँ की
चोटी हर महिला की
अब रोज़ ही काटती हैं।
चोटी कटवा
उस हर घर में
मौजूद है
जहाँ शराब पीकर ,
वह ज़ालिम ,
हैवानियत
की सारी हदें पार करता है
चोटी कटवा वास्तव में
वह है जो
चलती महिला को अपनी
वहशी नज़रों से ,
सरेराह घायल करता है
हर रोज़!
चोटीकटवा वह है
जो शोषण की जंजीरों में
जकड़ता हैं किसी मज़दूर महिला को
हर रोज़
चोटीकटवा तो वह हैं
जिसकी नज़रों में
उम्र का कोई लिहाज़ नही हैं
जो कभी भी, कही भी
मटियामेट कर सकता है
किसी भी मासूम की
इज़्ज़त को एक क्षण में!
वही तो हैं असली हक़दार
कहलाने का
“चोटीकटवा”!
– ©नीरज चौहान