*चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के है भंडार (कुंडलिया)*
चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के है भंडार (कुंडलिया)
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पाते ऑंखों की चमक, मिलती शांति अपार
चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के हैं भंडार
सुख के हैं भंडार, चंद्र-चंद्रिका समाई
उजला देखा रूप, तृप्ति नयनों ने पाई
कहते रवि कविराय, पात्र चॉंँदी के पाते
आयु बढ़ाते लोग, नित्य जो इनमें खाते
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रचयिता:— रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451