चैत्र नवरात्रि
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की चैत्र नवरात्रि का आरंभ कल शनिवार 2 अप्रैल से हो रहा है- अब की बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है जो भक्तों के लिए माता की कृपा पाने का बेहतर अवसर है- लेकिन अब की बार माता का आगमन घोड़े पर होने जा रहा है जिसे देवीभगवत पुराण में सत्ता, जनता और राष्ट्र के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जाता है…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पुराण के अनुसार जब नवरात्र का आरंभ मंगलवार या शनिवार के दिन होता है तो देवी का वाहन घोड़ा यानी अश्व होता है-सोमवार और रविवार के दिन नवरात्र का आरंभ होने पर देवी का वाहन हाथी होता है-गुरुवार और शुक्रवार के दिन नवरात्रि आरंभ होने पर देवी डोली पर आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्रि आरंभ होने पर देवी नाव पर आती हैं…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की देवी के सभी वाहनों पर आगमन और गमन का अलग-अलग प्रभाव होता है-जिस दिन नवरात्रि समाप्त होती है उस दिन के अनुसार देवी का अलग-अलग वाहन माना जाता है-शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि समाप्त होने पर देवी बिना किसी वाहन के यानी पैदल ही जाती हैं- देवी का पैदल वापस जाना अच्छा नहीं माना जाता है- बुधवार और शुक्रवार के दिन नवरात्रि समाप्त होने पर देवी हाथी पर वापस जाती हैं जिसे अच्छी बरसात और खूब फसल होने का सूचक माना जाता है- गुरुवार को नवरात्रि के समाप्त होने पर देवी का वाहन मनुष्य माना जाता है यानी देवी मानव के कंधे पर सवार होकर जाती हैं-जबकि रविवार और सोमवार के दिन नवरात्रि समाप्त होने पर देवी भैंस पर सवार होकर जाती हैं, भैंस पर देवी की वापसी को बहुत ही अशुभ माना गया है…,
आखिर में एक ही बात समझ आई की चैत्र हिंदू चंद्र कैलेंडर का पहला महीना है. इसलिए इस नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है.कहा जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता. ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा…!
Affirmations:-
46.शरीर खत्म होता है ,आत्मा की मृत्यु नहीं होती …
47.प्रेम के प्रकाश को चमकने देता हूँ…
48.मैं स्वयं को बिना शर्त प्रेम देता हूँ…
49.मै स्वयं को कुछ भी गलत करने के लिए क्षमा करता हूँ…
50.मैं एक सामंजस्यपूर्ण व्यक्ति हूँ…
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱