Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2024 · 1 min read

चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)

आँखों पे अपनी ज़ुल्फ का पहरा लगाए हैं
इस दिल पे मेरे घाव जो गहरा लगाए हैं

ग़म भरी आँखों पे उनकी हँसी है क़ायम
जैसे चेहरे पे एक और चेहरा लगाए हैं

आएँ तो बज़्म में वो पर साथ भाइयों के
जैसे कली के ऊपर भँवरा लगाए हैं

महफ़िल महक उठी है कमाल उसिका है
बालों में जो अपनी वो गजरा लगाए हैं

दुल्हन की रज़ा भी तो पूछ ले जाकर वो
पेशानी पे अपनी जो सेहरा लगाए हैं

~विनीत सिंह

Vinit Singh Shayar

Language: Hindi
108 Views

You may also like these posts

जय जोहार
जय जोहार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
धमकी तुमने दे डाली
धमकी तुमने दे डाली
Shravan singh
देर लगेगी
देर लगेगी
भगवती पारीक 'मनु'
परिस्थितियाँ
परिस्थितियाँ
Rajesh Kumar Kaurav
दिल को तेरी
दिल को तेरी
Dr fauzia Naseem shad
*तन - मन मगन मीरा जैसे मै नाचूँ*
*तन - मन मगन मीरा जैसे मै नाचूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दीपावली की दीपमाला
दीपावली की दीपमाला
Khajan Singh Nain
वंचित कंधा वर्चस्वित कंधा / मुसाफिर बैठा
वंचित कंधा वर्चस्वित कंधा / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
Paras Nath Jha
11) “कोरोना एक सबक़”
11) “कोरोना एक सबक़”
Sapna Arora
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
तन्हा चलती जिदंगी,
तन्हा चलती जिदंगी,
sushil sarna
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
पूर्वार्थ
4597.*पूर्णिका*
4597.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बचपन की वो बिसरी यादें...!!
बचपन की वो बिसरी यादें...!!
पंकज परिंदा
गीत
गीत
सत्य कुमार प्रेमी
लखनऊ शहर
लखनऊ शहर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं
मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं
Jyoti Roshni
"हाल ए ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
मेरी अवनति में मेरे अपनो का पूर्ण योगदान मेरी उन्नति में उनका योगदान शून्य है -
मेरी अवनति में मेरे अपनो का पूर्ण योगदान मेरी उन्नति में उनका योगदान शून्य है -
bharat gehlot
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
Nitesh Chauhan
बचपन
बचपन
Kanchan Advaita
भाषा
भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
VINOD CHAUHAN
#बधाई
#बधाई
*प्रणय*
तारों की बारात में
तारों की बारात में
Suryakant Dwivedi
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"" *चाय* ""
सुनीलानंद महंत
Loading...