उसने रुख़ पर नकाब डाला है
उसने रुख़ पर नकाब डाला है।
फिर भी तस्वीर आई आला है !!
होता गुमनाम जा रहा है सच !
झूठ का इतना बोलबाला है!!
कर्म काले कमाई भी काली !
इनका दिल भी जनाब काला है!!
पृष्ठ सब ज़िन्दगी के रँग डाले !
प्रीत ने रंग ऐसा डाला है!!
काश! साकार हों सभी सपने!
जिनको आँखों में तूने पाला है!!
कुछ न कहकर भी कह दिया सब-कुछ!
उनका अंदाज़ भी निराला है!!
जिसने अपना ही घर जला डाला!
‘अर्चना’ कैसा ये उजाला है!!
11-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद