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21 Feb 2017 · 1 min read

चेहरे कहां दिखते हैं?

रंग-बिरंगे सौ किस्मों के
नीले- काले लाल- गुलाबी
कैसे पहचानोगे—? कैसे खोलोगे? छिपे हुए हैं राज हजारों!
कहां मिलेगी इनकी चाबी?
चेहरे ढके हुए हैं मुखौटों से
सबके ,अब चेहरे कहां दिखते हैं?
कोशिश बहुत की पहनकर देखूं
एक मुखौटा सतरंगी !
तन को समझाया
मन को बहलाया
अंतर्मन से लड़ी लड़ाई
बात किसी के समझ न आई
ढूँढ़-ढूँढ़कर हार गया
बाहर ढूँढ़ा ,अंदर ढूँढा
मिला न अब तक कोई संगी।

मुकेश कुमार बड़गैयाँ(ृष्णधर दिवेदी)

Language: Hindi
1 Like · 470 Views
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