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28 Oct 2022 · 1 min read

चेहरा

चेहरा

चेहरे की आवाज़,
गहरी है आग़ाज़
बुन रहें हैं छुप छुपा के,
बजा देता है वह साज !

ऑखें और मुस्कान के,
अलग अलग आलाप
बयां कर देते हैं
कुछ और ही है बात !

ज्ञान कर्म तन्त्र रचित,
अगम सुगम जाल
बुन ही जाता है
भृकुटि आरोहित जाल !

लाल गुलाबी पुते,
चेहरे का क़ुदरती गुलाल
बयां कर ही देता है,
दिल लाल है या गुलाब !

नरेन्द्र

Language: Hindi
105 Views
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