चेहरा सहमा सा लगता है
चेहरा सहमा सा लगता है
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प्रारूप आज संबंधों का
बदला-बदला सा लगता है
अब राह बदलकर चलते हैं
चेहरा सहमा सा लगता है..।।
अब सहज नहीं मिलना जुलना
दिनचर्या सबकी बदल गई
हालातों से बेबस होकर
हर पल अब डर सा लगता है..।।
मिलना-जुलना अब सहज नहीं
दूरी रिश्तों पर हावी है
हम मधुर मिलन को तरस रहे
हर प्रेम अधूरा सा लगता है..।।
जीवनयापन की चिंता ने
छीनीं सबकी मुस्कानें हैं
अब चेहरे पर बसती चिंता
चेहरा मुरझाया सा लगता है..।।
खुशियों को किसकी नज़र लगी
भयभीत आज हर खुशी लगे
सब पहले जैसा हो जाए
जीवन फीका सा लगता है..।।
जीवन फीका सा लगता है..।।
विजय कनौजिया
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