चेहरा छोड़ो दिल परखो
चेहरा देखकर
पहचानने का
दावा करते है जो
ज़िंदगी में
सबसे ज़्यादा
धोखा खाते है वो
हो फरेब अगर
चेहरे पर ही
तो क्या कर लेगा वो
लगी हो कई और
परतें चेहरे पर
कैसे पहचानेगा वो
है ये कलयुग
चेहरा भी असलियत
दिखाता नहीं है
है क्या किसके मन में
कभी किसी को
वो बताता नहीं है
छोड़ो चेहरों को
दिल को पढ़ने का
हुनर सीख लो
ज़िंदगी सफल होगी
तेरी तो तभी
साफ दिल हमसफर ढूंढ लो।