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1 Jan 2023 · 3 min read

चूहों का बदला – कहानी

जंगल में चूहों के परिवार एक विशेष स्थान पर रहते थे | उनकी संख्या सैकड़ों में थी | सभी एक परिवार की तरह एक दूसरे के साथ प्रेमभाव से रहते थे | जंगल के दूसरे जानवर भी उनकी आपसी समझ के कायल थे | पर एक समस्या उनके जी का जंजाल बनी हुई थी | वो यह कि जिस जगह पर वे सभी चूहे अपने परिवार के साथ रहते थे उसी जगह के पास से हाथियों का झुण्ड भोजन की खोज में जाया करता था जिसके कारण चूहों के बिल से मिटटी धसक कर गिर जाया करती थी जिसके कारण उनके बहुत से बच्चे मर जाते थे | चूहों ने मिलकर इसकी शिकायत जंगल के राजा मोनू शेर के पास की | राजा मोनू शेर ने हाथियों को किसी और रास्ते से जाने की सलाह दी | हाथियों ने जंगल के राजा की सलाह को मान लिया किन्तु उसका पालन नहीं किया और जंगल के राजा की बात को अनसुना कर दिया |
चूहों ने सोचा था कि हाथियों का झुण्ड जंगल के राजा की बात मान लेगा पर ऐसा नहीं हुआ | हाथियों के झुण्ड का उनके रहने के स्थान के पास से गुजरना जारी रहा और चूहों का परिवार अभी भी उसी समस्या का सामना कर रहा था | हाथियों की हरकत जब चूहों के बस के बाहर हो गई तो उन्होंने एक दिन चुपचाप बिना किसी को बताये एक गुप्त सभा का आयोजन किया जिसमे केवल चूहों के परिवारों से हिस्सा लिया | चूहों में सबसे समझदार पिंचू चूहे को सभा का अध्यक्ष बनाया गया | सभा की समिति में पांच और समझदार चूहों चिम्पू , गोलू, पिंटू , चिपलू और पीलू को शामिल किया गया | समस्या को आधिकारिक तौर पर चीनू चूहे ने समिति और अध्यक्ष के सामने रखा | पूरी बात सुनने के बाद समिति ने एक निर्णय लिया | पर यह निर्णय गुप्त रखा गया | निर्णय पर काम किस तरह से किया जाएगा इसका जिम्मा गोगलू चूहे को सौंपा गया | रात के अँधेरे में इस काम को अंजाम दिया जाएगा यह बात केवल गोगलू चूहे को बताई गयी |
चूहों के परिवार ने सबसे पहले एक सुरक्षित स्थान पर अपना नया ठिकाना बना लिया और हाथियों को सबक सिखाने के लिए जिस रास्ते से हाथियों का समूह भोजन की खोज में जाया करता था उसी रास्ते में जमीन के भीतर चूहों ने बिल बना दिये ताकि जब हाथियों का समूह वहां से गुजरे तो वे बिल में बने गड्ढों में फंस जाएँ | अगले दिन चूहों के परिवार हाथियों के झुण्ड के साथ होने वाली घटना का मजा लेने के लिए झाड़ियों में छुप गए थे | निश्चित समय पर हाथियों का उसी रास्ते से निकला जिस पर बड़े – बड़े बिल खोद दिए गए थे | एक – एक करके हाथियों के पैर उसमे धंसते चले गए | हाथियों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है | चूहों को मजा आ रहा था | क्योंकि हाथियों के समूह ने उनकी और जंगल के राजा की बात नहीं मानी थी |
इस घटना के बाद हाथियों के झुण्ड को समझ आ गया कि चूहों ने अपना बदला ले लिया | हाथियों के झुण्ड ने चूहों के परिवारों से माफ़ी मांगी और भविष्य में ऐसी कोई भी गलती न करने का वादा किया | सभी जानवर मिल जुलकर ख़ुशी – ख़ुशी रहने लगे |

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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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