चूहे जी
बाल्य कविता ( चूहे जी ? )
नटखट प्यारे चूहे जी,
लाड़ हमारे चूहे जी।
बिल्ली से डरकर रहते,
राजदुलारे चूहे जी ।।
दिल से जिनको थाम रखा,
ध्यान सबेरे शाम रखा ।
भूरे रंग के चूहे का,
ख्याति ने ‘चुन’ नाम रखा।।
जब से चुन घर पर आया,
सबको जी भर कर भाया ।
आराध्या ने खुश होकर,
छोटा सा घर बनवाया ।।
सुंदर सुघड़ सलौना जी,
दिन में छककर सोना जी ।
रद्दी के अम्बार तले,
चुन का नरम बिछौना जी ।।
जब भी ख्याति नहलाती,
मीठे फल, खीले लाती ।
गणपति जी के मंदिर में,
दर्शन चुन को करवाती ।।
बचपन से रहते चुनजी,
उछलकूद करते चुनजी।
सॅूंघ -सूँघकर दानापानी,
हाथों में भरते चुनजी ।।
ब्रेड-टोस खाते जी भर,
चंगे रहते बन-ठनकर।
घर से दूर भाग जाते,
काले चूहे डर-डरकर ।।
(जगदीश शर्मा दि. ०४/०६/२०१९)