चूहा दौड़
घर के अंदर तेज दौड़ लगाता,
कुतर कुतर कर अन्न है खाता,
जूठन भी इधर-उधर फैलाता,
उछल कूद कर कर्तव्य है दिखाता,
बिल बनाकर उसमें छुप जाता,
नन्हा सा प्राणी उत्पात है मचाता,
गणपति का वाहक कहलाता ,
मेवा लड्डू का भोग है लगाता ,
चूहा दौड़ संसार में कहलाता ,
पूँछ और मूँछ से शान है दिखाता ।
रचनाकार ✍🏼✍🏼
##बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर