चूम लेगा
चूम लेगा समन्दर लहर
पर तटों को न होगी खबर
हो गयी है मुहब्बत उसे
इसलिए बन गए हमसफर
बँध गए प्यार के वो बंधन
इसलिए चाहिए एक घर
दिल मुहब्बत गुलिस्तां बना
छोड़ जाऊँ न कोई डगर
इश्क उनका रहेगा अटल
राह आए न कोई नहर
जान कुर्बां लहर पर करे
चाह का वो दिखाए हुनर
प्रीत आरोह चढ़ने लगी
जी न पाये बिना हमसफर