चुलबुल चानी – कहानी
एक जंगल था जिसमे सभी प्रकार के जीव – जंतु साथ मिलकर रहा करते थे | उस सबका एक दूसरे से कोई बैर नहीं था | सब एक दूसरे के दुःख में साथ दिया करते थे | इसी जंगल में एक गिलहरी थी जिसका नाम था – चुलबुल चानी | जैसा उसका नाम , वैसे ही उसके काम | चुलबुली सी प्यारी सी दिखने वाली यह शरारती गिलहरी पूरे जंगल में अपनी शरारतों को लेकर विख्यात थी | सभी को उसकी शरारतों की जानकारी थी | उसकी शरारतें कभी – कभी दूसरों के लिए मुसीबत का कारण हो जाया करती थीं |
कभी वह तेज गति से पेड़ पर चढ़ जाती और कौवे के घोंसले को तोड़ देती , तो कभी किसी चिड़िया के घोंसले को | बात घोंसला तोड़ने तक सीमित नहीं थी | घोंसला तोड़ते वक़्त उसे यह भी पता नहीं होता कि उस घोंसले में पक्षी के बच्चे भी हैं | पक्षी के बच्चे पेड़ से गिरते और मर जाते | पक्षियों ने चुलबुल को समझाने की बहुत कोशिश की पर उनकी बातों को चुलबुल एक कान से सुनती और दूसरे कान से बाहर निकाल दिया करती थी | मानो वह तो केवल शरारतों के लिए ही इस धरती पर आई थी |
चुलबुल चानी की शरारतों पर कोई भी विराम नहीं लगा पा रहा था | चुलबुल अपनी ही दुनिया में मस्त एक दिन एक कोयल के घोंसले को तोड़ आई | घोंसले में कोयल के चार बच्चे थे वे भी घोंसले के साथ जमीन पर आ गिरे और मर गए | कोयल से यह सब सहन नहीं हुआ और उसने जंगल के राजा चंकी शेर से चुलबुल की शिकायत कर दी | चंकी शेर ने अपने मंत्रिमंडल की एक सभा बुलाई और चुलबुल चानी को सबक सिखाने का फैसला किया | अगले दिन सुबह ही चुलबुल अपनी शरारतों को अंजाम देने के लिए घर से निकल गयी | शाम को जब अपने घर वापस लौटी तो अपने बच्चों को घर में न देख परेशान हो गयी | आसपास के जानवरों. पक्षियों से भी उसने बहुत पूछा पर किसी ने भी उसको उसके बच्चों के बारे में नहीं बताया | चुलबुल की साँस अधर में लटकी हुई थी | रो – रोकर उसका बहुत बुरा हाल था | उसे समझ नहीं आ रहां था कि आखिर उसके बच्चे कहाँ गए |
चुलबुल थक – हारकर जंगल के राजा के चंकी शेर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंची | जंगल के राजा चंकी शेर ने भी उसके बच्चों के बारे में बताने में असमर्थता प्रकट की | चुलबुल चानी का रो – रोकर बुरा हाल हो रहा था | उसे कुछ नहीं सूझ रहा था | उसने चंकी शेर से कहा कि किसी ने उसके बच्चों के साथ कोई शरारत तो नहीं की है | इस पर चंकी शेर ने कहा कि शरारतें करना तो तुम्हारा काम है | ऐसा काम जंगल में कोई दूसरा नहीं करता |
चुलबुल, चंकी शेर के पैरों पर पड़ गयी और कहने लगी कि मुझे मेरे बच्चे वापस दिला दो मैं आज के बाद किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाऊँगी | मुझे पता है कि मैंने बहुत से पक्षियों का घर उजाड़ा है उसकी ही सजा मुझे मिल रही है | मैं सच्चे मन से कहती हूँ कि मेरे बच्चे मुझे मिल जाएँ तो मैं सभी के साथ मिल – जुलकर रहूंगी | चुलबुल ने अपने दोनों कान पकड़ लिए | क्या तुम सच कर रही हो चुलबुल ? चंकी शेर ने कहा | चुलबुल ने कहा – हाँ , मैं वादा करती हूँ |
चंकी शेर ने कहा – तुम्हारे बच्चे मेरी पत्नी चमको के साथ भीतर गुफा में खेल रहे हैं जाओ और उन्हें ले आओं | यह सुन चुलबुल की खुशी का ठिकाना न रहा | वह दौड़कर अपने बच्चों से लिपट गयी |