चुलबुली मौसम
बारिश का मौसम आया,
मन को मेरे भाया।
गर्मी से निजात मिलेगी,
अब बादल भी छाया।
रिमझिम रिमझिम फुहारों में,
तेज हवा चलने लगी।
ठंडक ने भी दस्तक दे दी,
मन मेरा मुस्कराने लगी।
सोची भींग कर बारिश में,
घर में नही जायेंगे।
सहेली के संग में खूब,
इसका लुत्फ उठाएंगे।
इतने में मेरी मम्मी आई,
खरी खोटी खूब सुनाई।
रोते रोते साथ में गई,
दादी भी खूब गिड़गिड़ाई।
जब देखा पापा ने तब,
गुस्से में लाल हो गए।
सॉरी बोली पापा अब
हम बेहाल हो गए।
कितनी बार दंड मिलेगी,
इस बारिश के पैगाम का।
क्यूं आया ऐसा मौसम,
डर दिया बदनाम का।
अनिल “आदर्श”
कोचस, रोहतास बिहार