चुरा लेता
बगैर ठोकरों के ही मिल जाती कोई सीख बड़ी
हर कोई राह चलते हुए हर कदम नया तजुर्बा लेता,
मेरी एक ही मुराद सुन सुन कर क्या तू ऊबता नहीं?
इससे तो बेहतर था खुदा तू मेरे हक में फैसला देता
तुम्हें चुराया जा सकता तो दो बातें हो सकती थी मेरे दोस्त
या तो चोरी कर लिए गए होते या अब मैं चुरा लेता