चुप
जब बोलना था तब जनाब चुप रह गये
कुछ न बोले सारे ख्वाब चुप रह गये
डर था झिझक थी या मसला कोई और
सोचे अब कौन बेहिसाब चुप रह गये
यूँ तो बेझिझक बोल देते थे सब कुछ
जाने फिर क्या हुआ खराब चुप रह गये
मैंने तो पूछा था मुख़्तसर सा सवाल
दिया नहीं कोई भी जवाब चुप रह गये
अजय मिश्र