चुप मत रहना
बेटी,बहन और माता हो
अनगिनत वीर पुरुषों की
तुम जन्मदाता हो,
सृजनकर्ता हो
हो देवतुल्या तुम…
पर तुम्हारे होने पर
जब प्रश्नचिन्ह लगने लगे,
वजूद ही तुम्हारा अखरने लगे…
तुम प्रतिकार करना
चुप मत रहना…..
त्याग और सहनशीलता की
माना प्रतिमूर्त हो तुम…
और अलंकृत हो
लाज ,शर्म से…
पर धीरज तुम्हारा
जब खोने लगे,
और ये श्रृंगार
बोझ लगने लगे…
तुम प्रतिरक्षा करना
चुप मत रहना….
विधाता की श्रेष्ठ रचना
अनुपम कृति ,
अमूल्य उपहार हो तुम,
पर तुम पर अगर वार हो
और होने लगे अत्याचार…
तुम प्रतियुध करना
चुप मत रहना….