चुप ओढ़ना
थी कहाँ आदत मिरी चुप ओढ़ना
बन गई फ़ितरत मिरी चुप ओढ़ना
क्यों किसी से कह न पाया हाले-दिल
क्यों बनी चाहत मिरी चुप ओढ़ना
वक़्त ने गूँगे किये जज़्बात जब
बन गई आदत मिरी चुप ओढ़ना
इश्क़ में टूटे सितम जो बारहा
हो गई ताबियत मिरी चुप ओढ़ना
ऐ खुदा! मुझको बता दे आज तू
क्यों रही क़िस्मत मिरी चुप ओढ़ना