चुपचाप सा परीक्षा केंद्र”
एम ए फाइनल की परीक्षा थी वो
राजनीतिक विज्ञान का विषय था
घर से कोई सोलह किलोमीटर दूर
चुपचाप सा मानो परीक्षा केंद्र था,
प्रभात में शीतल वायु मेरी साथी
ओला स्कूटर खूब मचकाया था
एक पेपर में हुई मंद मंद बरसात
तब मीनू को ईको मोड सुहाया था,
भूतल का चुपचाप सा परीक्षा केंद्र
मकड़ी के जालों का साया पसरा था
घंटी बजी हलचल हुई प्रश्न पत्र मिला
हर कोई तब वहां हड़बड़ी में दिखा था,
कलम रुकी तो निहारा घड़ी को मैंने
अरे सवा घंटा तो मात्र अभी बीता था
पृष्ठ उल्टे पलटे तो अचंभित हो गई मैं
क्योंकि मेरा तो पेपर पूरा हो गया था,
ड्यूटी वाली मैडम आकर बोली मुझे
लगता है हमारा कभी मिलन हुआ था
मैं हंसी और बोली मेरी 5 वीं एम ए है
पिछली बार भी केंद्र यहीं तो आया था,
तभी मै सोचूं देखा है कहीं तो आपको
उनके चेहरे पर संतोष का भाव आया था
चुपचाप सा परीक्षा केंद्र दोस्त बना मेरा
इसलिए हर बार इसे आशियाना बनाया था।