चुपके से,
चुपके से प्यार होने लगा है।
क्या बहाना करूं।
बस सच्चाई से परेशान हूं।
इस बात की खुशी को कैसे संभाले।
अब तो खुशी से भी परेशान हूं।
गम जीना सिखाता है हर हाल में संघर्षरत बनाते हैं।कर्मशील बनाते I
सुख समृद्धि देता है,साथ में, आलस्य का ढेर ,ढेर सारा वेबकूफियाँ भी लाता है।
सत्य से परेशान ,भोग ,विलास में आराम।
अ-राम नहीं है जो रामायण महाकाव्य की रचना का राम।
वह इस कलयुग में परेशान,नजाकत कीजिए।
किस-किस से प्यार करेंगे। प्रेम तो दूर आदमी,व्यक्ति व्यक्तित्व से होता है।
प्यार तो सिर्फ दो के बीच होता है। चुपके से प्यार नहीं।
अब प्रेम होने में लगा हैं,सत्य को सत्य से जोड़ने का अहसास होने लगा है।