चुपके से निखरी रातों में. .
बिन बारिश के मौसम में, तेरा बरसना मुझे याद हैं
उन दो कजरारी अखियों का, तरसना मुझे याद हैं,
चुपके से निखरी रातों में, तेरा दिल में आना याद हैं ,
कुछ बातों पर तेरा रोना, कुछ पर मुस्काना याद हैं .. .
– नीरज चौहान
बिन बारिश के मौसम में, तेरा बरसना मुझे याद हैं
उन दो कजरारी अखियों का, तरसना मुझे याद हैं,
चुपके से निखरी रातों में, तेरा दिल में आना याद हैं ,
कुछ बातों पर तेरा रोना, कुछ पर मुस्काना याद हैं .. .
– नीरज चौहान